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Shulemin Waghmare • 3 years ago

आपके लेख उत्तम होते हैं रविश जी। Please लिखा किजीए।

Bharti • 4 years ago

मोहम्मद शाहरुख के हिरासत में लेने के साथ ही अब एनडीटीवी के पत्रकार रवीश कुमार भी घेरे में आ गए हैं, जिन्हें सोशल मीडिया पर जमकर लताड़ा जा रहा है। बता दें कि रवीश कुमार ने अपने प्राइम टाइम शो में दावा किया था कि दिल्ली के दंगों में पिस्तौल के साथ खड़ा व्यक्ति मोहम्मद शाहरुख नहीं, बल्कि अनुराग मिश्रा है। यानि इन दंगों में भी जनाब अपने एजेंडे को साधने में लगे हुए थे।

परंतु अब जब मोहम्मद शाहरुख हिरासत में लिया जा चुका है, और उसने अपना अपराध स्वीकार कर लिया है, तो रवीश कुमार ने माफ़ी मांगने की बजाय एक बार फिर से मौन धारण कर लिया है। एक स्थानीय अखबार भी मामूली त्रुटि के लिए माफीनामा छाप देता है, पर रवीश ने अपनी घटिया रिपोर्टिंग के लिए स्पष्टीकरण तक प्रकाशित नहीं किया, माफी मांगना तो बहुत दूर की बात है।

Sumit • 4 years ago

सारे टीवी चैनल पे मुस्लिमों की भीड़ को पुलिस पे हमला करते दिखाया जा रहा है पर रवीश तो अस्पताल में घायल मुसलमानों लगा है ।

इस फर्जी पत्रकार को बस मुसलमान ही दिखते हैं

Bharti • 4 years ago

दिल्ली में हुई हिंदू विरोधी हिंसा के दौरान भीड़ के बीच से निकलकर दिल्ली पुलिस के एक सिपाही पर बंदूक तानने वाला मोहम्मद शाहरूख खान आज यूपी के शामली से गिरफ्तार कर लिया गया। उसकी गिरफ्तरी के साथ ही सोशल मीडिया पर दो हैशटैग ट्रेंड करने लगे। एक- शाहरुख और दूसरा अनुराग मिश्रा। शाहरुख के हैशटैग पर उसकी गिरफ्तारी की खबरें आई। लेकिन अनुराग मिश्रा पर क्लिक करते ही सामने आया NDTV का नाम और रवीश कुमार का चेहरा। अब जिन्हें कुछ दिन पुराना किस्सा याद नहीं, उन्हें लगेगा शाहरूख की गिरफ्तारी और अनुराग मिश्रा के नाम पर रवीश का चेहरा दिखाने का क्या मतलब? तो आइए समझाएँ इस सबके पीछे क्या संबंध है…

मगर, एनडीटीवी की हद पत्रकारिता देखिए… घटना के कुछ दिन बाद यानी 26 फरवरी को अपने प्राइम टाइम में रवीश कुमार ने अपने दर्शकों को बरगलाने के लिए अपनी लच्छेदार बातों से उनके मन में सवाल छोड़ा कि जिसने दिल्ली हिंसा में गोली चलाई वो शाहरूख है तो फिर सोशल मीडिया पर उसे अनुराग मिश्रा क्यों कहा जा रहा है? इस सवालिया निशान के साथ रवीश ने अपने दर्शकों के मन में हिंदू नाम के पीछे जो संदेह जताया, उससे साफ हो गया कि वो शाहरूख के अपराधों को दुनिया के सामने तभी लाना चाहते हैं, अगर वो ‘अनुराग मिश्रा’ साबित हो जाए। रवीश जी ने अपने इस प्राइम टाइम में दिल्ली पुलिस से भी कहा कि उन्हें इस नाम पर दोबारा बोलना चाहिए।

साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि रवीश कुमार को तो अब अपना मुँह काला करवा लेना चाहिए। क्योंकि शाहरुख ने अपने शाहरुख होने के कागज भी पेश कर दिए हैं।

tourword • 4 years ago
Varsha • 4 years ago

रास्ता खोलने की बात पर अगर शहर जलता है

घरों के चिराग़ बुझते है दुकानें लुटती है और लोग मरते है

तो तुम जाम करो सड़कों को हम घर में बैठ लेते है

तुम लगाओ नारे हम मुँह सील लेते है

चलो इस चलते शहर की धड़कनों को रोक देते है

तुम जाम करो सड़कों को हम घर में बैठ लेते है

#DelhiBurning

राजा • 4 years ago

जो रास्ता बंद करेगा, उसकी टांगें तोड़ देंगे,

ये भारत, ये दिल्ली किसी के बाप की नहीं ।

अब बैठ के दिखा दे कोई बीच सड़क पे,

रात मार के पूछेंगे, ये सड़क तेरे बाप की नहीं ।

राजा • 4 years ago

पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद (Jafrabad) में हुए दंगों के दौरान पुलिस पर फायरिंग करने वाले शख्स की पहचान हो गई है. उसका नाम मोहम्मद शाहरुख़ है (Mohammad Shahrukh). और वो उसी इलाके का रहने वाला है. हालाँकि वामपंथी लिबरल गैंग ने उसे CAA समर्थक बताने की कोशिश की लेकिन सच सामने आ ही गया.

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में शाहरुख पुलिस पर बन्दूक ताने दिखता है और एक के बाद एक आठ बार फायरिंग करता है. उसके फायरिंग करने के बाद पत्थरबाजों और दंगाइयों की भीड़ उसके साथ मिलकर कहर बरपाती है. सबसे दिलचस्प बात ये है कि अनुराग कश्यप, राणा अयूब के नेतृत्व में वामपंथी लिबरल गैंग ने शाहरुख़ की पहचान को छुपा कर इसे भगवा आतंकवाद से जोड़ने की भरसक कोशिश की.

इंतज़ार कीजिये, जल्द ही ऑल्ट न्यूज की तरफ से फैक्ट चेक आता ही होगा कि मोहम्मद शाहरुख़ के हाथों में बन्दूक नहीं बल्कि गुलाब का फूल था और वो दंगाई को गुलाब भेंट कर शांति स्थापित करने की कोशिश कर रहा था. उसके बाद रवीश कुमार 75 बीघा का पोस्ट लिख कर ऑल्ट न्यूज की तारीफ़ में महाकाव्य की रचना करेंगे.

Sumit • 4 years ago

1 फ़रवरी 2020 को जब शाहीन बाग़ (Shaheen Bagh) में फायरिंग हुई थी और कपिल गुज्जर नाम के शख्स को पुलिस ने पकड़ा था तब ट्विटर पर स्वरा भास्कर ने ट्विटर पर तहलका मचा दिया था. सिर्फ स्वरा भास्कर ही क्यों तमाम लिब्रांडूओं ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया था. स्वरा भास्कर (Swara Bhaskar) ने कपिल गुज्जर और जामिया में फायरिंग करने वाले गोपाल की तस्वीरों के साथ एक एक ट्वीट को रीट्वीट किया था, ‘किया था अगर आतंक का कोई चेहरा होता तो ऐसा होता.

लेकिन अब दिल्ली पुलिस ने पर्दाफ़ाश कर दिया है कि शाहीन बाग़ में फायरिंग करने वाला आम आदमी पार्टी का सदस्य है. उसकी तस्वीरें आतिशी और संजय सिंह के साथ सार्वजनिक हो चुकी है और आम आदमी पार्टी का प्रोपगैंडा बेनकाब हो गया है तो सारे लिबरांडुओं को सांप सूंघ गया है.

इस खुलासे के बाद स्वरा भास्कर तो ट्विटर से ऐसे गायब हो गई जैसे उनकी फ़िल्में थियेटर से गायब होती है. एक ट्वीट नहीं. सिर्फ स्वरा ही क्यों? जो सोनम कपूर दो दिन पहले लम्बे लम्बे ज्ञान पेल रही थी वो भी ऐसे गायब हुईं जैसे गदहे के सर से सिंह गायब होता है. यूँ लगता है मानों ये सब अपना ट्विटर पासवर्ड ही भूल गए हों.

Ravish • 4 years ago

मुझे ये बजट ज्यादा समझ नहीं आता, लेकिन एक बात साफ़ है कि इस बजट से सीधे तौर पर अंबानी और अडानी बंधुओं को फायदा पहुँचाया गया है।

वहीं इस बजट में आने वाले वेलेंटाइन-डे को लेकर कुछ नहीं बोला गया, जिससे साफ है कि युवाओं की अनदेखी की गई है। वह भी ऐसे समय में कि जब देश का बेरोजगार युवा प्रेम जाल में फँसकर भटक रहा है या फ़िर बंदूक उठा रहा है। अब आप देखिए कि ये बजट ऐसे माहौल में लाया गया, जब पूरे देश में, और खास तौर पर शाहीन बाग में, सीएए और एनआरसी के खिलाफ जमकर विरोध हो रहा है, तो क्यों न मान लिया जाए कि ये कहीं न कहीं शाहीन बाग से मीडिया का ध्यान भटकाने के लिए लाया गया है? क्योंकि आज पूरे दिन मीडिया शाहीन बाग की कवरेज और जनता के जरूरी मुद्दों को छोड़कर सिर्फ बजट पर ही चर्चा करती रही और एक दिन में ही वह रामभक्त अचानक से गायब हो जाता है, जिसने देश में आतंक फैलाने की कोशिश की हो।

राजा • 4 years ago

ये तो हम सबको पहले से ही पता है कि तू चूतिया है ।

Varsha • 4 years ago

दो महीने से ज़्यादा हो गए क़स्बा पर कोई नया ब्लोग पोस्ट नहीं किया आपने
लगता है अब क़स्बा भी छूट गया है

राजा • 4 years ago

तेल लेने गया है रवीश कुमार
पप्पू के औजार की मालिश के लिए

Sumit • 4 years ago

अभी तो ये हरामी रवीश देश में आग लगाने और उस पे पेट्रोल डालने में व्यस्त है ।

कस्बा जाये भाड़ में

Sahid • 4 years ago

छपाक’ की रियल स्टोरी: 15 साल की लक्ष्मी ने शादी से इनकार किया तो 32 साल के नईम ने तेजाब फेंका

राजा • 4 years ago

मजा तो बहुत आया ये देखकर कि इस बार लेफ्ट वाले सर फूटे ।

Bharti • 4 years ago

जो खुद को वामपंथन कहती है। जिस वामपंथ में धर्म-मजहब की कोई पहचान है ही नहीं, वो शेहला रशीद, मुसलमानों के मजहबी उन्मादी नारों की बात करते हुए कहती है कि अगर आप उनसे शर्मिंदा हैं तो आप हमारे सहयोगी नहीं हैं। अगर आपको इन नारों से दिक्कत है, तो आप भी समस्या का ही हिस्सा हैं। और जनाब इनके वो मजहबी नारे क्या हैं? वो नारे हैं: हिन्दुओं से आजादी, हिन्दुत्व की कब्र खुदेगी, AMU की छाती पर, नारा ए तकबीर अल्लाहु अकबर, तेरा मेरा रिश्ता क्या ला इलाहा इल्लल्लाह…

ये हैं वो नारे जो एक मजहबहीन वामपंथन ‘नॉन-नेगोशिएबल मानती है। और आप फिर सोचेंगे कि एक राजनैतिक विरोध-प्रदर्शन में ‘मजहबी नारों की क्या ज़रूरत है’ तो आपको जवाब नहीं मिलेगा। शेहला रशीद यह मान कर चल रही है कि मोदी के प्रधानमंत्री बनते ही सेकुलरिज्म तेल लेने चला गया था। ये बात और है कि जब इनका सेकुलरिज्म तेल ले कर वापस लौटा तो पहले जामिया में आग लगाई, फिर सीलमपुर में पेट्रोल बम फेंका, फिर लखनऊ के परिवर्तन चौक में आग लगाई, फिर बंगाल में ट्रेन फूँक दिया, बिजनौर में आग लगाई, मेरठ और अलीगढ़ को लहका दिया। वाकई, सेकुलरिज्म तेल तो बार-बार लेने गया है मोदी के आने के बाद, खास कर मुसलमानों का सेकुलरिज्म जहाँ वामपंथन भी खुल कर मुसलमान हुई जा रही है!

Bharti • 4 years ago

NDTV के पत्रकार ने इमरान खान को फेक वीडियो भेज कर कराई Pak की फजीहत, रवीश ने जारी किया बयान!

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने शुक्रवार (जनवरी 3, 2019) को एक वीडियो ट्वीट किया। उस वीडियो के बारे में उन्होंने बताया कि भारत में पुलिस द्वारा अल्पसंख्यकों पर जुर्म किया जा रहा है।

वीडियो फेक निकला। वीडियो में जिन पुलिसवालों को भारत का बता कर दिखाया गया था, उनकी वर्दी पर साफ़-साफ़ RAB लिखा था। रैब, अर्थात रैपिड एक्शन बटालियन। ये बांग्लादेश का सुरक्षा बल है। वीडियो में बंगाली भाषा भी सुनी जा सकती है। लेकिन, इमरान ने इसे यूपी का बता कर ट्वीट कर दिया। दंगाइयों के एक-एक पत्थर के बदले उनकी संपत्ति बिकवाने वाली यूपी पुलिस भला इसे कैसे बर्दाश्त कर सकती थी? यूपी पुलिस ने फैक्ट्स के साथ इमरान को आइना दिखाया। फेक वीडियो शेयर करने वाले इमरान ने फजीहत होने के बाद अपना ट्वीट डिलीट कर लिया।

अब पता चल रहा है कि एनडीटीवी के किसी पत्रकार ने इमरान ख़ान को ये वीडियो भेजी थी। रवीश कुमार लगातार पुलिस के कथित अत्याचार पर शो कर रहे हैं। एनडीटीवी भी दंगाइयों के घर-घर जाकर उनके माता-पिता का इंटरव्यू ले रहा है। ऐसे में एनडीटीवी के किसी पत्रकार ने ये फेक वीडियो इमरान को भेज दिया। दरअसल, ग़लती उस पत्रकार की भी नहीं है। उसे भी किसी ने ये वीडियो भेजा था और दावा किया था कि इसे व्हाट्सप्प यूनिवर्सिटी से पीएचडी डिग्रीधारी स्कॉलर ने सत्यापित किया है। फिर क्या था, उसने इसे इमरान को ख़ुश करने का मौक़ा समझ इसे गँवाना उचित नहीं समझा।

सूत्र बताते हैं कि इमरान ख़ान ने ‘Indian Sickulars’ नाम से एक पूरा का पूरा व्हाट्सप्प ग्रुप ही बना रखा है, जिसमें राणा अयूब, सदानंद धुमे और बरखा दत्त सरीखे पत्रकार एडमिन के रूप में उपस्थित हैं। उसी ग्रुप में एनडीटीवी के किसी पत्रकार ने उक्त वीडियो भेजा, जिसे इमरान ने ट्वीट कर दिया। अब इमरान ख़ान ने उक्त पत्रकार को खरी-खोटी सुना कर उसे ग्रुप से लात मार कर निकाल बाहर किया है, क्योंकि उसने फेक वीडियो शेयर कर के पाकिस्तान की बेइज्जती कराई। ग्रुप के एडमिन्स ने भी माना है कि जब सवाल पाकिस्तान को ख़ुश करने का आए, तब उन्हें फेक न्यूज़ से बचना चाहिए।

ये पहली बार नहीं है, जब एनडीटीवी और पाकिस्तान गलबहियाँ डाले घुमते नज़र आ रहे हों। अर्नब गोस्वामी ने भी अपने शो में इसकी पुष्टि की थी। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तानी एनडीटीवी की ख़बरों और राहुल गाँधी के बयानों से विशेष प्रेम करते हैं। एनडीटीवी ने विंग कमांडर अभिनन्दन वर्तमान को लेकर भी पाकिस्तान-परस्त रवैया अपनाया था। इमरान ख़ान की पार्टी इससे पहले भी एनडीटीवी का वीडियो शेयर कर चुकी है। रवीश कुमार ने तो खुलेआम मीडिया को सलाह दे डाली थी कि भारत-पाक विवाद को कवरेज न दें, क्योंकि इससे भाजपा को चुनावी फ़ायदा होता है। इसी तरह एनडीटीवी के पत्रकार श्रीनिवासन जैन ने ननकाना साहिब पर मुस्लिम भीड़ द्वारा किए गए हमले से ज्यादा इस बात से चिंतित हैं कि कहीं इससे सीएए समर्थकों को फ़ायदा न हो जाए।

एनडीटीवी और पाकिस्तान के एक-दूसरे के प्रति प्रेम को देखते हुए इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि उसके ही किसी पत्रकार ने इमरान ख़ान को ये वीडियो भेजा। एनडीटीवी ने अब अपने सभी पत्रकारों के लिए ‘पाकिस्तान गाइडलाइंस’ जारी की है, जिसमें बताया गया है कि भविष्य में ऐसी गलतियों से कैसे बचना है। इस बारे में रवीश कुमार ने अपने चैनल के सभी पत्रकारों को ये सन्देश जारी किया है:

“हमारे पत्रकार ने तो इमरान ख़ान को सही वीडियो भेजा था। उसके फोन से इमरान के फोन तक पहुँचते ही वीडियो बदल गया। क्या आपको नहीं लगता कि ये भाजपा आईटी सेल की करतूत है। वो हमारे मोबाइलों में घुस चुके हैं। आपलोग टीवी मत देखिए, मोबाइल भी यूज नहीं कीजिए। भाजपा आईटी सेल वालों ने रास्ते में ही वीडियो मैसेज को पकड़ के उसे बदल दिया। क्या एक देश के प्रधानमंत्री की इस तरह बेइज्जती कराना सही है? क्या हमें हमारे प्यारे पड़ोसी से मिलजुल कर नहीं रहना चाहिए? आपलोग अपने-अपने मोबाइल फोन फोड़ डालिए क्योंकि उनमें आईटी सेल घुस चुका है। कभी-कभी तो मैं भी लिखना कुछ चाहता हूँ और लिख कुछ और देता हूँ। आईटी सेल वाले टाइपिंग के समय उँगलियों को इधर-उधर कर देते हैं। डर का माहौल है।”

राजा • 4 years ago

ये साला रवीश तो खुलेआम दंगाइयों की तारीफ कर रहा है । दिल्ली की बसों में आग लगाने की खुशी मना रहा है ।

जब ये दंगाई भीड़ इसके घर में आग लगायेगी तब देखेंगे इसकी खुशी ।

Sumit • 4 years ago

सबसे ज़्यादा रवीश तब खुश होगा जब दंगाई इसकी लौंडिया को उठा ले जायेंगे ।

Guest • 4 years ago
Sahid • 4 years ago

चिन्ता मत कर सिकंदर हयात,

तूझे तो बंगलादेश भले ही भगा दें सरकार पर तेरी बहन को हम नहीं जाने देंगे ।

उसे अपनी जान बना के रखेंगे, सीने से लगा के रखेंगे ।

Rahman • 4 years ago

देख रवीश देख

तेरे होते CAB भी पास हो गया और तू अपनी खुजाने में लगा रहा ।

तेरे मुंह पे थूकने का बहुत मन है, पता बता अपना ।

Rohit • 4 years ago

क्रांतिकारी से याद आया, आपकी चिट्ठियों में प्रसून बाजपेयी जी के नाम भी कोई पत्र नहीं ढूंढ पाया. जिसमें आपने पूछ दिया हो कि इंटरव्यू का कौन सा हिस्सा चलाना है, कौन सा नहीं, ये इंटरव्यू देने वाले से ही मिल के तय करना अगर दलाली है – तो क्या वो आपको दलाल कहे जाने की ज़िम्मेदारी लेंगे ?

सर गाली तो लोग मुझे भी देते हैं. वही सब जो आपको देते हैं. बल्कि मुझे तो राष्ट्रवादी भी ऐसे कहा जाता है कि जैसे राष्ट्रवादी होना गाली ही हो. और सर साथ साथ आपसे सीखने की नसीहत भी दे जाते हैं. पर क्या सीखूं आपसे ? आदर्शवादी ब्लॉग लिखने के साथ साथ काले धन की जांच के दायरे में फंसे चैनल की मार्केटिंग करना ?

सर कभी आपका मन नहीं किया आप प्रणय रॉय जी को एक खुली चिट्ठी लिखें. उनसे पूछें कि तमाम पारिवारिक-राजनीतिक गठजोड़ (इसे रिश्तेदारी भी पढ़ सकते हैं) के बीच – आतंकियों की पैरवी करने की वजह से, देश के टुकड़े करने के नारे लगाने वालों की वकालत करने की वजह से, लगभग हर उस चीज़ की पैरवी करने की वजह से जो देश के बहुसंख्यक समुदाय की भावनाओं को आहत करती हो – अगर लोग आपको दलाल कहने लगे हैं तो क्या वो इसकी ज़िम्मेदारी लेंगे ?

उम्मीद करता हूं आप मेरे पत्र को अन्यथा नहीं लेंगे. वैसे भी आपकी चिट्ठी की तरह सारे सोशल मीडिया ब्लॉग्स और अखबार मेरे लिखे को हाथों हाथ नहीं लेंगे. लेकिन आपकी राजनीतिक/गैर राजनीतिक सेनाएं इस चिट्ठी के बाद मेरा जीना हराम कर देंगी ये मैं जानता हूं. जिन लोगों का ज़िक्र मेरी चिट्ठी में आया है – वो शायद कभी किसी संस्थान में दोबारा नौकरी भी न पाने दें. पर सर मैं ट्विटर से फिर भी भागूंगा नहीं. न ही आपको ब्लॉक कर दूंगा (मुझे आज ही पता लगा कि आपने मुझे ब्लॉक किया हुआ है, जबकि मेरे आपके बीच ये पहला संवाद है, न ही मैंने कभी आपके लिए कोई ट्वीट किया, नामालूम ये कड़वाहट आपमें क्यों आई होगी, खैर).

सर आप भगवान में नहीं मानते शायद, मैं मानता हूं. और उसी से डरता भी हूं. उसी के डर से मैंने आप जैसे कई बड़े लोगों को देखने के बाद अपने आप को पत्रकार लिखना बंद कर दिया था, मीडियाकर्मी लिखने लगा. बहुत से लोग मिलते हैं जो कहते हैं पहले रवीश बहुत अच्छा लगता था, अब वो भी अपने टीवी की तरह बीमार हो गया है. शायद आप को भी मिलते हों. वो सब संघी या बीजेपी के एजेंट या दलाल नहीं होते होंगे सर. तो सबको चिट्ठियां लिखने के साथ साथ एक बार अपनी नीयत भी टटोल लेनी चाहिए, क्या जाने वो लोग सही ही कहते हों?
आपका अनुज
रोहित

Rohit • 4 years ago

बहुत तलाशने के बाद भी मैं आपके किसी ठिकाने पर वरिष्ठ पत्रकार और संपादक रहे आशुतोष जी (जो अब आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं) के नाम आपकी कोई खुली चिट्ठी नहीं ढूंढ पाया, जिसमें आपने पूछा होता कि साल-डेढ़ साल तक स्टूडियो में हॉट-सीट पर बैठ कर , अन्ना के पक्ष में किताब लिखना और फिर उस मेहनत कूपन को पार्टी प्रवक्ता की कुर्सी के बदले रिडीम करा लेना अगर दलाली है – तो क्या आपको दलाल कहे जाने के लिए वो ज़िम्मेदारी लेंगे?

सर मैंने बहुत ढूंढा, लेकिन मैं आपके पत्रों में आशीष खेतान के नाम कोई चिट्ठी नहीं ढूढ पाया, जिसमें आपने पूछा होता कि सवालों में घिरे कई स्टिंग ऑपरेशनों, प्रशांत भूषण जी के बताए पक्षपातपूर्ण टू जी रिपोर्ताजों के बीच निष्पक्ष होने का दावा करते अचानक एक पार्टी का प्रवक्ता हो जाना अगर दलाली है – तो क्या वो आपको दलाल कहे जाने की ज़िम्मेदारी शेयर करेंगे ?

सर मैं अब भी ढूंढ रहा हूं. लेकिन राजदीप सरदेसाई के नाम आपका कोई पत्र मिल ही नहीं रहा. जिसमें आपने पूछा हो कि 14 साल तक एक ही घटना की एक ही तरफ़ा रिपोर्टिंग और उस घटना के दौरान आए एक पुलिस अफसर की मदद के लिए अदालत की तल्ख टिप्पणियों के बावजूद, वो हाल ही में टीवी चैनल के संपादक होते हुए गोवा में आम आदमी पार्टी की रैली में जिस तरह माहौल टटोल रहे थे, अगर वो दलाली है, तो क्या राजदीप जी आपको दलाल कहे जाने की ज़िम्मेदारी लेंगे?

सर मैंने बहुत तलाशा. लेकिन मैं उन सब पत्रकार (पढ़ें रिपोर्टर) दोस्तों के नाम आपकी कोई चिट्ठी नही ढूंढ पाया, जिन्हें दिल्ली सरकार ने ईनाम के तौर पर कॉलेजों की कमेटियों का सम्मानित सदस्य बना दिया. सर जब लोग आ कर कहते हैं कि आपका फलां साथी रसूख वाला है, उससे कह के दिल्ली के कॉलेज में बच्चे का एडमिशन करा दीजिए. आपका मन नहीं करता उनमें से किसी से पूछने का कि क्या वो आपको दलाल कहे जाने की ज़िम्मेदारी आपके साथ बांटेंगे ?

पत्रकारों का राजनीति में जाना कोई नई बात नहीं है. आप ही की चिट्ठियों को पढ़ के ये बात याद आई. लेकिन पत्रकारों का पत्रकार रहते हुए एक्टिविस्ट हो जाना, और एक्टिविस्ट होते हुए पार्टी के लिए बिछ जाना – ये अन्ना आंदोलन के बाद से ही देखा. लड़ाई भ्रष्टाचार के खिलाफ़ थी. मैं भी जाता था अपनी 3 साल की बेटी को कंधे पर ले कर. मैं भीड़ में था. आप मंच पर थे. तब लगा था कि क्रांतिकारी पत्रकार ऐसे होते हैं. लेकिन फिर इंटरव्यू में किरण बेदी को दौड़ाते और अरविंद केजरीवाल को सहलाते आपको देखा तो उसी मंच से दिए आपके भाषण याद आ गए.

Rohit • 4 years ago

रोहित सरदाना का पूरा लेटर

आदरणीय रविश कुमार जी
नमस्कार.
सर, ट्विटर, फेसबुक, ब्लॉग, फेस टाइम के दौर में आपने चिट्ठी लिखने की परंपरा को ज़िंदा रखा है उसके लिए आप बधाई के पात्र हैं. हो सकता है कि चिट्ठियां लिखने की वजह ये भी हो कि ट्विटर, फेसबुक पे लोग जवाब दे देते हैं और चिट्ठी का जवाब मिलने की उम्मीद न के बराबर रहती है, इस लिए चिट्ठी लिखने का हौसला बढ़ जाता हो. पर हमेशा की तरह एक बार फिर, आपने कम से कम मुझे तो प्रेरित किया ही है कि एक चिट्ठी मैं भी लिखूं – इस बात से बेपरवाह हो कर – कि इसका जवाब आएगा या नहीं.

ये चिट्ठी लिखने के पहले मैंने आपकी लिखी बहुत सी चिट्ठियां पढ़ीं. अभी अभी बिलकुल. इंटरनेट पर ढूंढ कर. एनडीटीवी की वेबसाइट पर जा कर. आपके ब्लॉग को खंगाल कर. एम जे अकबर को लिखी आपकी हालिया चिट्ठी देखी. पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी देखी. मुख्यमंत्रियों के नाम आपकी चिट्ठी देखी. विजय माल्या के नाम की चिट्ठी देखी. पुलिस वालों के नाम भी आपकी चिट्ठी देखी.

सर लेकिन बहुत ढूंढने पर भी मैं आपकी वरिष्ठ और बेहद पुरानी सहयोगी बरखा दत्त के नाम की खुली चिट्ठी नहीं ढूंढ पाया, जिसमें आपने पूछा होता कि नीरा राडिया के टेप्स में मंत्रियों से काम करा देने की गारंटी लेना अगर दलाली है – तो क्या आपको दलाल कहे जाने के लिए वो ज़िम्मेदारी लेंगी ?

तेरा बाप • 4 years ago

महाराष्ट्र में भी बीजेपी की फिर से सरकार बनने पर रवीश सोच में पड़ गया कि

ये क्या हुआ,
कैसे हुआ,
कब हुआ,
क्यों हुआ ?

मैं अपना सिर
कहां दे मारुं ?

फिर से दर्द
शुरू हो गया ।

Jeevan Kumar • 4 years ago

Article in well-known newspaper, *Toronto Sun*
on *Abrogation of Art.370 and 35A*
(It is bringing Kashmir, to equality with other Indian States)

A major shift took place in the Indian subcontinent in August, 2019 when the Government of India revoked the special status it had conferred on its only Muslim-majority state – the State of Jammu and Kashmir (J&K).

*In doing so, India demonstrated a spinal cord of steel, this coming after 1,000 years of Arab, Turkic, Persian and Afghan Islamic invasions, followed by Portuguese, French and British colonization, had reduced it to mere spaghetti.*

*India today stands as tall as the Himalayas and walks as gracefully as the Bengal tiger, after this bold INTERNAL POLICY DECISION.*

*As expected, Pakistan*
*invoked its self-styled role as the godfather of India’s Islamists*. The country’s military-backed Prime Minister Imran Khan made a barely concealed *threat of a nuclear attack unless India revoked its actions taken on its own sovereign territory*.
Khan told a joint session of the Pakistan parliament, “if we fight a war till we shed the last drop of our blood, who will win that war? No one will win it and it will have grievous consequences for the entire world,” he thundered. Then, as if to mollify his threat of a worldwide nuclear catastrophe, Khan fooled no one by insisting: “This is not nuclear blackmail.”

Khan then played the race card: “What they (Indian government) did in Kashmir is in accordance with their ideology. They have a racist ideology … ingrained in their ideology that puts Hindus above all other religions and seeks to establish a state that represses all other religious groups.”
India’s actions were taken through a change in two articles of its constitution that won approval in both houses of the country’s parliament.
Can Pakistan tell the world as to why they threaten nuclear war on India, *when Pak, which is the country sponsoring state terrorism, a threat to world peace under a military that is carrying out a genocide on its own people in the occupied once independent country of Balochistan.*

India has a peculiarity to its history. Unlike the Persian and Egyptian civilizations that crumbled in the face of Islamic expansionism of the 7th and 8th centuries, India’s Hindu society was able to survive despite the total erasure of Hinduism from the 5,000-year-old Indus Valley Civilization by the Arab marauder Muhammad Bin Qasim and later murderous plunderers such as Tamerlane and the Moguls ending with the looting of its riches and resources by the British.

When they finally left in 1947, Britain amputated India’s limbs to partition the ancient land into three, with the Islamic State of Pakistan flanking India on both its eastern and western borders.
On paper India had won its freedom in August 15, 1947, but on the ground the ancient plundered land was not free until this August.

*Acting to appease the Muslims or in good faith and making India secular to accommodate its Muslim minority, the Hindu leaders (More so by Nehru and his brand of Congress) for decades, distanced themselves from their heritage*

*India’s first education minister, Maulana Abdul Kalam, who came from a family in Mecca that claimed to be a direct descendent of Prophet Muhammad*.
He laid foundation for education system in Independent India. Obviously *He, with the PM Nehru's blessings, distorted and erased the Hindu culture and patronised the Muslim Invaders' actions*.
In fact, India is the only major civilizational country where you are systematically taught to hate your own heritage and glorify the invaders who came to destroy it. *And this absurdity is called “secularism.”*
Anyone standing up for the rights of India’s Hindu heritage of its indigenous and aboriginal population, who took pride in their ancient Vedic texts was labelled by the slur of being an “ultra-right Hindu nationalist,” while those who propagated the total Islamization of India under the Arab doctrine of “Ghazwa-e-Hind” and the eradication of every Hindu Temple were free to claim such hate as being their “right” to practice their faith.

But in the words of Bob Dylan, “the times are a changing.” India has finally won its freedom from the clutches of those who mock its heritage and wish it harm.
Under this new freedom, India’s Hindus, Muslims, Sikhs and Christians will be equals before the law and not hide behind “special status.”
............................

This article is required to be spread accross the world.
Let People throughout the world ( including our Indian teens in India and abroad), to know the real facts.
That We, Indians ( including those of Indian origin) should develop a strong sense if Nationalism and have PRIDE in our ancient Culture and Heritage.

Sumit • 4 years ago

तेरी तो सुप्रीम कोर्ट ने फिर ले ली रवीश !
बहुत तू राफेल-राफेल चिल्ला रहा था ।

अब पढ़ राफेल पे नयी कविता

तेरी छोरी का राफेल मारूं,
उसके दोनों राफेल दबा दूं ।

तेरी छोरी में राफेल डालूं,
उसके मुंह में राफेल घुसा दूं ।

तेरी छोरी से राफेल चुसवा लूं,
उसके अंग-अंग से राफेल छुआ दूं ।

kuldeep • 4 years ago

तेरी बहन जो अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया, बर्कली में रेटिना पर रिसर्च कर रही है , रविश जी उसके साथ कुछ सीख रहे है। रविश कहते है की कितना कुछ सीखा. सीखा कि जब आप ज्ञान की साधना में होते हैं आप किसी स्वयं में नहीं होते.. किसी यूनिवर्सिटी में जाकर अपने कुछ होने को कभी नहीं ढोता बल्कि वहां की फ़िज़ाओं में तैर रही प्रतिभाओं में खो जाता हूं. सही मौका है तू राफेल लेकर सबके घर जा. और ये साबित कर तू खुद कितना प्रतिभाशाली है।

Sumit • 4 years ago

अबे कुलदीपिये

रवीश अमरीका में अपनी लौंडिया पे लगाम लगाने गया है जो अपने बाँयफ्रेन्डों के साथ अय्यासी कर कर के पेट फुला बैठी है ।

kuldeep • 4 years ago

भाई तो तू यहाँ क्या कर रहा है ? तेरे पास तो फुल मौका है। रविश देश की खबर रखते है तू उनकी और उनके परिवार की रखता है।

Ratan Gupta • 4 years ago

Baad me tere ko v isi refel pe baitha ke ye modi chhod ayega

Sumit • 4 years ago

साथ में तेरी बहन को भी

औरतो के लिए तुम्हारे मन मे कितनी गंदगी है, शायद यह ही तुम लोगो के संस्कार है घर मे भी राफेल इधर उधर चिल्लाते हो क्या।

Sumit • 4 years ago

तू कहे तो राफेल लेकर तेरे घर आ जाऊं ।

Roshni • 4 years ago

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक (उत्तर) केके मुहम्मद ने कहा कि मैं आज अपने आप को दोषमुक्त महसूस कर रहा हूं (उन्होंने कहा था कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद से पहले राम मंदिर मौजूद था)। मुझे लोगों के एक समूह ने काफी भला-बुरा भी कहा। यह ठीक उसी तरह का निर्णय है जैसा हम सभी चाहते थे।

राजा • 4 years ago

राम मंदिर पर आते ऐतिहासिक फैसले की चर्चा करते हुए सभी रिपोर्टर दिखे बस एक रंड़ी टीवी का दलाल रवीश कुमार गायब था ।

भव्य राम मंदिर बनाने का फैसला आते ही रवीश कुमार के होठ और हाथ दोनों ही काँपने लगे ।

मुंह से झाग आने लगा जैसे की आज ही सारा बिष बाहर आ जायेगा ।

रवीश कुमार को मिर्गी का दौरा आ गया जिसके ईलाज के लिए रवीश कुमार के मुंह पे जूते-चप्पल मारने पड़े ।

जूते-चप्पल मारने की वजह से रवीश कुमार का मुंह बुरी तरह सूज गया है । सूजे मुंह की वज़ह से रवीश कुमार अगले हफ्ते भी दिखाई नहीं देंगे ।

एडवांस सूचना है फिर मत कहना कि बताया नहीं ।

Sumit • 4 years ago

देखता रह जायेगा रवीश तू
हाथ मलता ही रह जायेगा तू
मंदिर बन जायेगा अयोध्या में
अपना सिर पिटता रह जायेगा तू

Sumit • 4 years ago

सौगंध राम की खायी थी
कि मंदिर वहीं बनाएंगे ।

जहां राम का जन्म हुआ
उनकी नगरी वहीं बनायेंगे ।

राजा • 4 years ago

मैं तो रास्ते से जा रहा था
रवीश की लड़की घुमा रहा था
उसको केला चटा रहा था

रास्ते से जा रहा था
चाट खिला रहा था
अपना केला चटा रहा था

रवीश को मिर्ची लगी तो
मैं क्या करूं, हां मैं क्या करूं ।

तुम नामर्द हर बात औरत के अपमान तक ले जाते हो तुम किस तरह के घर मे पले बड़े हो अपने माँ-बाप को भी बता देना में ऐसे कमेंट लिखने का काम करता हूँ

राजा • 4 years ago

तूझे शक है तो तेरी बहन को मर्दानगी का टेस्ट दे देता हूं ।

राजा • 4 years ago

अब चिल्ला चूतिये रवीश कि सुप्रीम कोर्ट भी भारत की जनता की तरह नासमझ निकली ।

साले जैसे सारी समझदारी तेरे और तुझे पढ़ने वाले मुल्लों के पास है ।

इस बार तो तेरी सुप्रीम कोर्ट ने फाड़ी है और डंड़ा डाल के फाड़ी है ।

इसका दर्द तो तुझे जीवन भर होने वाला है ।

Jeevan Kumar • 4 years ago

राम मंदिर का जो तूने नाम लिया तो देख ले रवीश कल फैसला आने वाला है ।

ऐसा फैसला आयेगा कि तेरी फट के हाथ में आ जायेगी । कल तेरी थोड़ी और फट आ जायेगी ।

Jeevan Kumar • 4 years ago

भारत संचार निगम लिमिटेड(BSNL) का तुझे बहुत दर्द हो रहा है रवीशिये ।
जिस कम्पनी की कमाई का सत्तर फीसदी सैलरी में खर्च हो जाता हो उसे तो भगवान ही बचा सकता है ।

Jeevan Kumar • 4 years ago

लगता है कि पागल हो गया है रवीश कुमार ।
इसको कोई काम ही नहीं है ।
इसलिए बकबास पे उतर आया है ।

दोस्तों, बहुत दिनों से मुझे आप लोगों की शिकायतें नहीं मिल रहीं हैं ।

क्या मोदी ने आपको नौकरियां दिला दी हैं ?

आप मेरे व्हाटसअप नम्बर 9811518255 पर अपनी परेशानी लिखें ।

मैं आपकी परेशानी दूर कर दूंगा ।

राजा • 4 years ago

रंडी टीवी का दलाल,
रवीश कुमार, रवीश कुमार

Sumit • 4 years ago

प्रणव रॉय कुत्ता है और
तू उसका पिल्ला है